विष्णु आरती: भगवान विष्णु को सृष्टि का पालनहार माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन की सभी समस्याएं ख़त्म हो जाती हैं और उसका जीवन सफल हो जाता है। भगवान विष्णु जी की पूजा के बाद उनकी आरती जरूर गाई जाती है। लेकिन यहीं आपको यह भी बता दें कि ऐसे बहुत कम लोग हैं जिनको यह पता होगा कि विष्णु जी की आरती ‘हरे जय जगदीश हरे’ को किसने और कब लिखा था। आइए आपको बताते हैं कि भगवान विष्णु जी की आरती किसने और कब लिखी थी।
पंडित परमाराम शर्मा ने की फिल्लौरी: जी हाँ यही वह महान विद्वान हैं जिन्होंने सन 1870 में ‘दी जय जगदीश हरे’ की रचना की थी। आपकी जानकारी के लिए यह भी बता दें कि धर्म प्रचारक, ज्योतिषी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, संगीतज्ञ और हिंदी और पंजाबी के प्रसिद्द साहित्यकार पंडित श्रद्धाराम शर्मा फिल्लौरी का जन्म 30 सितंबर सन 1837 को पंजाब के पंजाब के फिल्लौर गांव में हुआ था। पंडितदर्शनाराम पंजाब के विभिन्न स्थानों पर चलने-घूम कर लोगों को रामायण और महाभारत की कथा सुनाते थे। पंडित जी को हिंदी साहित्य के पहले उपन्यास ‘भाग्यवती’ का रचनाकार भी माना जाता है।
अंग्रेजी शासन अधिकार के के खिलाफ बगावत कर रहा है की कारण से है कब? गाँव से है कर रहा है दिया हुआ हो गया था उलझा हुआ: यह उस समय की बात है जब पंडित श्रद्धाराम शर्मा जी अपनी रचनाओं के माध्यम से अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ जनजागरण चला रहे थे। उनके इस कार्य से अंग्रेजी सत्ता इनसे नाराज हो गई। जिसकी वजह से अंग्रेजी हुकूमत ने सन 1865 में उन्हें अपने ही गांव से निष्कासित कर दिया। अंग्रेजी हुकूमत ने आस-पास के गावों में भी उनके प्रवेश पर रोक लगा दी थी। लेकिन इसके बावजूद भी इन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा बल्कि इनकी लोकप्रियता और अधिक हो गई है।
फादर न्यूटन के प्रयास की कारण से है फिर से हुआ घर वापसी: पंडितदर्शराम शर्मा जी के ज्ञान से फादर न्यूटन काफी प्रभावित थे और उनका सम्मान करते थे। उस समय फादर न्यूटन ने अंग्रेजी हुकूमत को निर्दिष्ट किया था कि पंडितदर्शनाराम शर्मा जी का तटस्थकासन रद्द किया जाना चाहिए। बाद में अंग्रेजी हुकूमत ने फादर न्यूटन की बात स्वीकार की पंडित श्रद्धाराम जी को घर वापस लौटने की इजाजत दे दी।