मुश्किल की बात यह है कि पेरेंट्स में कुछ भी नहीं कर सकते हैं। ऐसे में परिवार एक अलग ही परिस्थितियों से गुजर रहा है। घर घर में ऐसे ही समसया देखने को मिल रही है। ऑफ़लाइन शिक्षा की गुणवत्ता-प्रभाव पर एक 100 दिन का एक शोध किया गया जिसमें कई चौंकाने वाले फीडबैक मिले।
वास्तव में, शुरू में तो अनलिंक टूलास को बहुत ही सराहा गया। लेकिन धीरे-धीरे इसके कई बुरे प्रभाव सामने आ रहे हैं। मार्च से पहले जो पैरेंट्स बच्चों को मोबाइल देने तक से मना करते थे, उन्हें मजबूरी में बच्चों को मोबाइल देना पड़ा। यहीं से परेशानी शुरू हुई।
ऑफ़लाइन क्लासेस से नुकसान की बात की जाए तो बच्चों को क्लास जैसा माहौल यहां नहीं मिल पा रहा है।जो विषय उनकी पहली पसंद होता था अब समझ नहीं आ पाने की वजह से वह उन विषयों से भागने में लगी है।
ऑफलाइन क्लासेस में टीचर्स के साथ बेहतर इंटरेक्ट की कमी है, ऐसे में टीचर के लिए भी इस नई तकनीक के माध्यम से रीडाना आसान नहीं है। टीचर और शोटूडेंट के बीच भली अंडरस्टैंडिंग भी यहां नहीं बन पा रही है, जिससे न्यूज़ीलैंड के लिए पढ़ाई कम हो गई है।
मोबाइल, लैपटॉप व एमबी का ज्यादा उपयोग बढ़ गया है जिससे स्क्रीन टाइम बढ़ने से आंखों पर इसका असर पड़ने का खतरा है। बड़ों के साथ शिशुओं के लिए भी रात की नींद अच्छी नहीं नहीं आ रही और कई बच्चों को तो डिप्रेशन की समसया भी दिखने को मिल रही है।
लंबे समय तक मोबाइल का इस्तेमाल करने से कई बार मोबाइल गर्म हो जाते हैं और ऐसे में दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है। बेटनिक और माता पिता के बीच कई बार इसको लेकर तनाव बन रहा है जो पति पत्तीनी के बीच झगड़े की वजह भी बन रही है और घर में एक नकारात्म माहौल तैयार हो रहा है। (अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी और सूचना सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं। हिंदी समाचार 18 इनकी पुष्टि नहीं करता है। ये पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)
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