आस पास के टॉवर की ऐसी लान जानकारी
मोबाइल टॉवर (मोबाइल टॉवर) से निकलने वाले रेडिएशन (विकिरण) हमारे बॉडी और माइंड पर कितना असर करता है इसको लेकर कई टॉक-शो होते हैं। लेकिन अगर आप यह जानना चाहते हैं कि आपके घर के आस पास कितने टावर हैं तो यह जानकारी आपको आसानी से मिल सकती है। इसके लिए आपको tarangsanchar.gov.in/EMF पोर्टल पर अपना नाम, लोकेशन, ई-मेल और मोबाइल नंबर डालना होगा। डिटेल डालते ही आपको इस इलाके के मोबाइल टावर की जानकारी मिल जाएगी। यह नहीं है, आप इसमें लोकेशन बदल कर अन्य स्थानों के टॉवर की जानकारी भी ले सकते हैं।
रेडिएशन भी कर सकते हैं चेक
डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन (डीओटी) के पोर्टल पर जाकर आप घर के आसपास कैसे रेडिएशन है इसकी जानकारी भी ले सकते हैं। इसके लिए आपको 4000 रुपए खर्च करने होंगे। इसके बाद आपके अड्रेस पर रेलवेर्स की एक टीम नेयना करने करगी और रेडिएशन का लेबल चेक करेगी। अगर निर्धारित की गई मात्रा से अधिक रेडिएशन यहां मिलता है तो आप इसकी शिकायत डीओटी में कर सकते हैं।
मोबाइल से भी दूरी बनाएं
मोबाइल को अगर हम अधिक प्रयोग में लाते हैं तो हमें सिरदर्द, थकान, डिप्रेशन, नींद न आना, आंखों में ड्राइवनेस, काम में ध्यान न लगना, जोड़ों में दर्द के साथ-साथ रीह्रोडिशन की समस्या भी हो सकती है। इसलिए जहां तक हो सके फोन को ब्रांड्सफ्री मोड में ही यूज करें। नहीं तो ईयर पीस या ब्लूटूथ का इस्तेमाल भी सेफ है। हमेशा याद रखें कि सोते व प्रभावशाली मोबाइल सिर के तरफ ना रखें। अगर मोबाइल सिग्नल कम आ रहा है या बैटरी लो है तो प्रेगनेंट महिलाओं और बेटनिक से मोबाइल को दूर रखना चाहिए। मोबाइल को शर्ट की जेब में रखने से भी बचना चाहिए।
डरने की जरूरत नहीं है
हालांकि हमारे देश में इस रेडिएशन के हेलनाथ पर पड़ने वाले असर पर हुए शोधों में रेडिएशन से किसी भी तरह की बीमारी का सबूत अभी तक तो नहीं मिला है। लेकिन 2011 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के अध्ययन में यह देखा गया कि रेडिएशन के कारण दिमाग़ और रीढ़ में एक तरह का कैंसर ग्लिओमा पनप हो सकता है। हालांकि इसकी आशंका भी बहुत कम है। (अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी और सूचना सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं। हिंदी समाचार 18 इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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