डिप्रेशन
मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) का सबसे पहला असर आपकी मानसिक स्वास्थ्य और मेंटल हेल्थ (मानसिक स्वास्थ्य) पर पड़ता है। कुछ महिलाओं के मेनोपॉज आते ही डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। इस कारण से उनका मूड बहुत स्विंग करता है। ऐसे में सेक्स लाइफ भी प्रभावित होती है।
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मेनोपॉज की वजह से शरीर में हॉर्मोन्स के स्तर में गेमिंग परिवर्तन आते हैं। सेक्सुअल इंटिमेसी में अचानक से कमी आने की वजह से सेक्स ड्राइव भी कम हो जाती है। यही नहीं मेनोपॉज के जब दी जानेवाली दवाइयों की वजह से भी महिलाएं अपने पार्टनर के टच के प्रति असंवेदनशील हो जाती हैं।
मूड स्विंग और नींद की कमी
मेनोपॉज के बाद शरीर में गर्मी या हॉट फ्लैश होने की वजह से महिलाओं को कम नींद और चिड़चिड़ापन महसूस होता है। इसी तरह शरीर में हॉर्मोन्स के स्तर में उतार-चढ़ाव के कारण से इस दौरान मूड स्विंग होना बहुत ही सहायक सामान है। इन दोनों कारणों से महिलाओं की रुचि सेक्स में कम होती जाती है और इसका असर उनकी सेक्स लाइफ पर पड़ता है।
संबंध बनाते समय दर्द होता है
मेनोपॉज के दौरान महिला के शरीर में एस्ट्रोजन की कमी हो जाती है, इससे उनके वजाइना में कई बदलाव आते हैं। अधिशक्त परिवर्तन नजर नहीं आते लेकिन यह सच है कि वजाइना पहले जैसी नहीं रहती। हालांकि मेनोपॉज के बाद सेक्स करने वाली महिलाओं के लिए फायदेमंद होता है क्योंकि इस दौरान वजाइना में रक्त प्रवाह कम हो जाता है और शारीरिक संबंध बनाने से यह बढ़ जाता है। वजाइना स्वस्थ रहती है।
वजाइना में गाड़ी चलाना
मेनोपॉज के समय अचानक से एस्ट्रोजन का स्तर घट जाता है जिसकी वजह से वजाइना में रक्त का बहाव कम हो जाता है। इसकी वजह से वजाइना में लुब्रिकेशन भी कम हो जाता है और आइसलाइना में बहुत अधिक सूखापन महसूस होने लगता है।
ऑर्गेज्म में मुश्किल
मेनोपॉज के बाद ऑर्गेज्म तक पहुंचने में अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है लेकिन इस बात से आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। आपको यह याद रखने की ज़रूरत है कि उम्र के साथ ऐसा होना स्वाभाविक है।
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वजाइनल इंफेक्शन का खतरा
मेनोपॉज के दौरान शरीर में ढेर सारे बदलाव आते हैं। इसकी वजह से वजाइना में बैक्टेरीया के सामान्य स्तर में भी बदलाव आ जाते हैं। अम्लीय वातावरण में बैक्टेरीया पनपने और वजाइनल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
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