पूजा-पथ: हमारे देश में कई ऐसे परिवार भी हैं जहाँ भगवान भैरव की कुल देवता के रूप में पूजा की जाती है। ऐसी भी मान्यता है कि कलगो में भगवान भैरव की पूजा करने से व्यक्ति को भय, संकट और शत्रु बाधा से जल्द ही मुक्ति मिलती है। वैसे तो काल भैरव का नाम सुनते ही व्यक्ति को भय लगता है लेकिन सच्चे मन से भगवान भैरव की आराधना करने से व्यक्ति का जीवन बदल जाता है। यहाँ तक की व्यक्ति की कुंडली में शनि, राहु या केतु की महादशा होने पर यदि भगवान भैरव की पूजा की जाय तो व्यक्ति को सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। आइए जानते हैं भगवान भैरव की पूजा के दिन और मंत्र के बारे में।
भगवान भैरव अपने आप भक्त की अहंकार दिशा से है करते हैं है रक्षा: भगवान भैरव के कुल 08 स्वरुप (चंड भैरव, बटुक भैरव, रूद्र भैरव, क्रोध भैरव, उन्मत भैरव, कपल भैरव, भीषण भैरव और संहार भैरव, माने गए है)। ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति भगवान भैरव के इन आठ स्वरूपों के नामों का स्मरण करता है भगवान भैरव उसकी आठों दिशाओं से रक्षा करते हैं।
इस दिन करना चाहिए चाहिए भगवान भैरव की पूजा: वैसे तो भगवान भैरव की पूजा किसी भी दिन किया जा सकता है लेकिन भैरव अष्टमी, रविवार, बुधवार और गुरुवार के दिन इनकी पूजा करना श्रेष्ठ और विशेष फलदाई माना जाता है।
भगवान भैरव की पूजा के मंत्र:
जिस तरह से किसी देवी-देवता की पूजा में मंत्र जाप का विशेष महत्व होता है उसी तरह से भगवान भैरव के मंत्रों का जाप विशेष फलदाई होता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान भैरव के मन्त्रों का जाप स्फटिक की माला से करने पर जीवन की सभी तरह की बाधाओं या संकट ख़त्म हो जाते हैं।
भगवान भैरव के मंत्र–
- कालभैरवाय ः नमः |
- शावक चौ भैरवः |
- प्रलाप कालभैरवाय फेटे |
- । ह्रीं बटुकाय आपदूर्ताय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं |