बर्ड फ्लू इंसानों को कैसे सचेत कर सकता है?
बर्ड फ्लू को मेडिकली एवियन इन्फ्लूएंजा ने कहा है। यह एक संक्रामक बीमारी है। यह एक पक्षी से दूसरे पक्षियों, जानवरों या इंसानों तक फैल सकता है। इसकी वजह से हर साल रहने वाले कई पक्षियों की मौत हो जाती है। यह जानलेवा भी हो सकता है। यह फ्लू का सबसे खतरनाक एच 5 एन 1 स्ट्रेन है। यह स्ट्रेन पक्षियों के साथ-साथ इंसानों को भी प्रभावित करता है। अगर यह वाला स्ट्रेन पक्षियों में पाया जा रहा है तो यह इंसान को भी अपनी चपेट में ले सकता है और समय पर इलाज नहीं होने पर जान जाने का भी खतरा है।
यह भी पढ़ें: कोविद -19 के बीच देश में बढ़ते हुए बर्ड फ्लू का खतरा, ये लक्षण दिखते हैं तो सावधान हो जाएंकैसे फैलता है ये वायरस?
पक्षियों के संपर्क में आने से यह फैलता है। यह वायरस आमतौर पर सर्दी के मौसम में फैलता है, जब विदेशी पक्षी भारत में आते हैं। माइग्रेटेड पक्षियों के माध्यम से भारतीय पक्षियों में ये वायरस आता है और फिर यहां पर फैल जाता है। अधिकतर वाइल्ड पक्षी और पोल्ट्री पक्षी में यह बीमारी देखी जाती है। पोल्ट्री पक्षी जैसे बत्तख और मुर्गियों में यह बीमारी देखी जाती है।
क्या अंडे और चिकन का सेवन करने से आपको बर्ड फ्लू हो सकता है?
जब कोई पक्षी बर्ड फ्लू से प्रभावित होता है और इंसान उसके यूरिन और स्टूल के संपर्क में जाता है तो उसके बाद यह वायरस इंसान तक पहुंच जाता है, क्योंकि यह संक्रामक बीमारी है। इसलिए अगर इन दिनों कहीं तुम पर कोई पक्षी मरा हुआ दिखे तो उससे दूर रहो। उसे न छूते, उससे संक्रमण का खतरा हो सकता है। इसके अलावा चिकन और अंडा खाने से। हालांकि अगर ये दोनों अच्छे तरह से धुले हुए हों और साफ तरीके से पके हुए हों तो आप इनका सेवन कर सकते हैं। इससे संक्रमण का खतरा नहीं होता है।
अंडे और चिकन को कैसे धोती है?
बहुत से लोगों को लगता है कि साफ पानी से चिकन या अंडे को धोने से उस पर मौजूद बैक्टीरिया और कीटाणु मर जाते हैं जबकि ऐसा नहीं है। बर्ड फ्लू जैसे संक्रमण में आपको चिकन और अंडा नमक पानी में धोना चाहिए। उसके बाद उन्हें पेपर टावल से साफ करें। उन्हें सही तापमान में पक्के और पूरी तरह से पकने के बाद ही खाट।
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बर्ड फ्लू का इलाज
डॉक्टरों के अनुसार पक्षियों में इस बीमारी का इलाज नहीं है। हां, इंसान में इसके खिलाफ एंटी वायरल दवा है। अगर किसी में इसका लक्षण दिखे तो तुरंत इलाके के लिए डॉ के पास जाएं। देश में एम्स और पुणे की एनवाईवी उद्योग में इसकी जांच संभव है। अगर समय पर इलाज के लिए नहीं जाते हैं तो जान जाने का खतरा है।
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