वास्तविक जीवन से वृद्धि दूर रही
डिजिटल टेक्टनॉलोजी की आदत की वजह से कई नुकसान भी झेलने पड़ रहे हैं। लोग घंटों सोशल मीडिया पर समय गुरेजते हैं, सेल्फी खींचते हैं, फोटो अपलोड करते हैं और उस पर मिलने वाले लाइक्स और कमेंट को देखकर ही खुश हो रहे हैं। लेकिन शासनतंत्र की रिवायतों में दूरियां बढ़ गई हैं। लोगों में अकेलापन बढ़ता जा रहा है। परिवार की पुनर्खरीद हो रही है। लोग अपने आस पास से बेखबर हैं और रियल लाइफ से जियालदा वर्चियल दुनिया में जी रहे हैं।
हो रहे हैं यह नुकसान
1. लगातार टेक्नोलॉजी के प्रयोग से लोगों में श्ट्रेस बढ़ रही है, लोग 24 घंटे अपडेट रहना चाहते हैं
2. लोग हर दो मिनट पर अपना फोन उठाकर चेक कर रहे हैं जिससे दिमाग हर वफ़ल फोन को लेकर मौजूद रहता है
3. सोशल मीडिया पर हर वक्त समय गुजारने की वजह से लोगों में गुससा, डिप्रेशन की शिकायत भी बढ़ी है
4. हर वफ़ाद एक डर रहता है कि इंटरनेट पर कोई कंटेंट छूट ना जाए
5. हम सोते जते मोबाइल का प्रयोग कर रहे हैं, ऑनलाइन गेम में घंटों समय बर्बाद हो रहा है
6. एम बुकिंग की वजह से ना तो हम समय पर सो पा रहे हैं और ना ही समय पर उठ पाते हैं।
7. जब तक हम फोन करते हैं तब तक एक बार चेक ना कर लें किसी और चीज में ध्यान नहीं लगाया जाए
8. परिवार और दोस्तों से दूरी बनती जा रही है, पास हो कर भी वह सोशल मीडिया पर हैं
9. मोबाइल के बिना डिप्रेशन और अकेलेपन का अनुभव हो रहा है
डिजिटल डीटॉक्स आवश्यक
डिजिटल डिटॉक्स (डिजिटल डेटॉक्स) का मतलब यह बिलकुल नहीं है कि इन टेक्नॉलोजी का प्रयोग पूरी तरह से बंद कर दिया जाए। इसका मतुल बस इतना है कि आप वास्तविक जीवन में दुबारा आते हैं। दरअसल डिटॉक्स आपको अपने उपकरणों पर निर्भर होने से रोकने में आपकी मदद भर करता है। (अस्वीकरण: इस लेख में दी गई बदलाव और सूचना सामान्य विवरणियों पर आधारित हैं। हिंदी समाचार 18 इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित जानकारी। संपर्क करें।)
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