प्रोफेसर फ्रांसिस मैकग्लोन, जो लिवरपूल जॉन मूरेस विश्वविद्यालय में एक न्यूरोसाइंटिस्ट और स्नेह स्पर्श के क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्ति हैं, कहते हैं- जब हम अकेले होते हैं, तो ये महसूस करते हैं कि हमारे जीवन में किसी व्यक्ति की कमी है, लेकिन ये महसूस नहीं कर पाते हैं कि जिस चीज़ की कमी को हम महसूस कर रहे हैं वह वो टच है। हम सच्चाई को जानते हुए भी इस बात को स्वीकार नहीं करते कि हमें जो चाहिए वह स्पर्श है।
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दक्षिण लंदन में अकेले रहने वाली 40 वर्षीय नीना स्मिथ बताती हैं- मुझे 2018 मेंाइन की हड्डी में चोट लगी थी जिसके बाद मुझे काफी लम्बे समय तक बिस्तर पर रहना पड़ा था। दर्द इतना ज्यादा था की किसी का मुझे टच करना भी मुश्किल था, जिसके कारण मैं उन्हें हग नहीं कर सकी जो मुझे मिलने आया। लेकिन कई महीनों बाद जैसे ही मैं ठीक होने लगी और मुझे लगा की मैं बाहर जा सकता हूं, लोगों से मिल सकता हूं, तभी लॉकडाउन लग गया। मैंने उस पीरियड को अकेले और बिना किसी को स्पर्श किए किस तरह से जिया है मैं नहीं बता सकता।
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में मनोचिकित्सा तंत्रिका विज्ञान के प्रोफेसर डॉ। कतेरीना फोटोपालु कहते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि हम शरीर की मुख्य जरूरतों को पूरा करने के लिए, देखभाल करने वाले पर पूरी तरह निर्भर हैं। इसी के चलते हम टच को बहुत महसूस करते हैं। ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय के विकासवादी मनोवैज्ञानिक प्रोफेसर रॉबिन डनबर कहते हैं- स्पर्श का हमारे मनोवैज्ञानिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है। जब हम फैमिली या दोस्तों के साथ होते हैं तो हम जितना महसूस करते हैं उससे ज्यादा एक दूसरे को स्पर्श करते हैं।
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वे कहते हैं- डनबार की रिसर्च में पाया गया है कि हमारे पास औसतन पांच दोस्त होते हैं, जिनके स्पर्श हम चाहते हैं और जिनके कंधे पर सर रखकर हम रो सकते हैं। यह भी चौंकाने वाली बात है कि 2020 में बीबीसी और वेलकम कलेक्शन डेवलपर के दौरान 112 देशों के 40,000 लोगों ने स्पर्श का वर्णन करने के लिए जिन तीन शब्दों का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया था, वह शब्द आराम, गर्म और प्यार थे। जिसमें टच का फील साफ नजर आ रहा था।
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